वेस्टइंडीज़ के खिलाफ़ एंटीगुआ टैस्ट मैच में शतक ठोंकने और दूसरी पारी में सात विकेट झटकने के बाद आर. अश्विन आईसीसी रैंकिंग में गेंदबाज़ में सबसे ऊपर पहुँच गए हैं। यही नहीं, वे ऑरराउंडर के रूप में भी सबसे ऊँचे पाएदान पर विराजमान हो चुके हैं।
ये कोई मामूली उपलब्धि नहीं है। ख़ास तौर पर किसी स्पिनर के लिए। लेकिन शायद अश्विन के मामले में ये अप्रत्याशित भी नहीं है। वे लगातार ऐसा प्रदर्शन करते रहे हैं जिससे गेंदबाज़ तथा हरफनमौला खिलोड़ी दोनों ही रूपों में उनके हुनर का सिक्का क्रिकेट की दुनिया पर जम चुका है।
सबसे अच्छी बात ये है कि अश्विन क्रिकेट के तीनों फार्मेट में कामयाबी के झंडे गाड़ते रहे हैं। ट्वेंटी-ट्वेंटी में वे बहुत किफायती और घातक गेंदबाज के रूप में खुद को प्रतिष्ठित कर चुके हैं। एक दिवसीय मैचों में भी गेंद और बल्ले दोनों से कमाल करते रहे हैं। टैस्ट मैचों में दो शतकों के अलावा वे कई बड़ी पारियाँ खेल चुके हैं।
सबसे अच्छी बात ये है कि उन्होंने निरंतर अच्छा प्रदर्शन किया है। बहुत कम ही मौक़े होते हैं जब वे निराश करते हैं। इसीलिए टीम का अभिन्नन हिस्सा भी बन चुके हैं। कोई भी कप्तान उन्हें खोना नहीं चाहता। उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली दोनों का विश्वास जीत रखा है और वे उनका भरपूर इस्तेमाल करते हैं।
अश्विन ने साबित किया है कि वे टीम के लिए खेलते हैं और नाज़ुक मौक़ों पर जिम्मेदारी निभाने से चूकते नहीं हैं। उनकी ऐसी कई पारियाँ हैं जो इस चीज़ को साबित करती हैं। स्पिनर होने के बावजूद उनमें एक ज़रूरी आक्रामकता भी है, जो वे उस समय भी नहीं खोते जब उनकी गेंदों की धुनाई हो रही होती है। इसीलिए मुश्किल परिस्थितियों में विकेट निकालकर टीम की मैच में वापसी करवाने में अग्रणी भूमिका भी निभाते रहे हैं।
निचले क्रम में उनकी उपस्थिति ने भारतीय टीम की बल्लेबाज़ी को गहराई दी है। वे उन गिने-चुने स्पिनर में से हैं जो गेंदबाज़ी में तो माहिर है ही, मगर बल्लेबाज़ी भी किसी मंजे हुए बल्लेबाज़ की तरह ही करते हैं। इससे टीम में उनकी उपयोगिता तो बढी ही है, मगर खुद उन्हें भी एक विश्व स्तर के हरफन मौला खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर दिया है।
भारतीय टीम के लिए ये बहुत अच्छी बात है कि उसके पास अश्विन जैसा एक परिपक्व खिलाडी है, जो पूरी टीम को भी परिपक्वता प्रदान करता है। वे एक अच्छे रणनीतिकार भी हैं, जिससे टीम को ताक़त मिलती है। कप्तान के लिए तो वे बहुत कीमती हैं।
हालाँकि अभी इस बात की कोई भी चर्चा नहीं कर रहा लेकिन एक अच्छे कप्तान में जो तमाम खूबियाँ होनी चाहिए, वे अश्विन में दिख रही हैं। हालाँकि कप्तान की जगह अभी खाली नहीं होती दिख रही। विराट कोहली बहुत बढ़िया खेल भी रहे हैं और उनके नेतृत्व में टीम भी अच्छा प्रदर्शन कर रही है। सीमित ओवरों के फॉर्मेट में धोनी की पारी अब ख़त्म होती ज़रूर दिख रही है मगर उनके हटने पर भी शायद कोहली को ही ज़िम्मेदारी दी जाएगी।
लेकिन जैसा कि कहा जाता है क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है, कभी भी कुछ भी हो सकता है। यानी एक अदद कप्तान की ज़रूरत कभी भी पड़ सकती है और तब अश्विन एक बड़े दावेदार के रूप में मौजूद रहेंगे।
लेकिन फिलहाल तो उन्हें अपने खेल पर ही अपना ध्यान केंद्रित करना होगा। ये बहुत ज़रूरी है कि वे शानदार प्रदर्शन करना जारी रखें, ताकि टीम में उनकी जगह को कोई चुनौती न दे सके। इसके बाद ही अगले तीन-चार साल में वे भारतीय टीम को नेतृत्व देने के लायक बन सकेंगे।