गुजरात से बाहर निर्वासन काट रहे पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम चिट्ठी दरअसल सीधा हमला है। बिना लाग-लपेट के हार्दिक ने मोदी को गुजरात दंगों के लिए ज़िम्मेदार तो ठहराया ही है, साथ ही उन पर पाटीदारों या नी पटेलों का इस्तेमाल करने का गंभीर आरोप भी लगाया है।
आरोप नया नहीं है, मगर चूँकि ये हार्दिक की ओर से आया है इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है। हालाँकि बीजेपी इसे महत्व नहीं देना चाहती, मगर अंदर ही अंदर वह ये समझ रही है कि इसके नतीजे बुरे हो सकते हैं। उसे पता है कि हार्दिक ने एक ऐसा मुद्दा उठा दिया है जो पटेलों में पनप रहे असंतोष को और भी बढ़ा देगा।
हार्दिक की चिट्ठी बताती है कि गोधरा कांड के बाद गुजरात दंगों में पटेलों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था और ऐसा मोदी के इशारों पर हुआ था। कुछ दिनों पहले नामी पत्रकार आकार पटेल ने टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित लेख में बाकायदा आँकड़े देकर बताया था कि गुजरात दंगों में पटेलों की भूमिका क्या थी।
हार्दिक ने भी आँकड़ों के सहारा लिया है। उन्होंने चिट्ठी में लिखा है कि तकरीबन आधा दर्ज़न मामलों में पटेल समुदाय के करीब सौ लोग दोषी पाए गए हैं और जेल में सज़ा भुगत रहे हैं। सरदारपुरा, दीपड़ा दरवाज़ा, ओड-2, नरोदा पटिया और मेहसाणा के नरसंहार यहां मिसालों की तौर पर उन्होंने दी हैं। इसके अलावा और भी कई मामलों में पटेलों की संलिप्तता रही है। ये बात और है कि गवाहों और सबूतों के न होने की वजह से उन्हें सज़ा नहीं हुई।
ज़ाहिर है कि उन्होंने पटेलों की दुखती रग़ पर हाथ रखकर उनके घावों को हरा कर दिया है। उन्हें ये एहसास दिला दिया है कि मोदी ने उनका इस्तेमाल करके प्रधानमंत्री की कुर्सी तो पा ली है, मगर अब उनकी सुध लेने की भी उन्हें फुरसत नहीं है। पहले से ही राज्य सरकार तथा बीजेपी से नाराज़ चल रहे पटेलों का गुस्सा इससे भड़केगा।
ये तो जाहिर है कि हार्दिक ने इस मुद्दे को उठाकर अपनी सियासत को मजबूत करने की कोशिश की है। पाटीदार उनके पीछे और भी दृढ़ता से लामबंद होंगे और बीजेपी से माँग करेंगे कि उनके लोगों को जेल से छुड़ाने के लिए कदम उठाए। हार्दिक ने मोदी से दोषियों को माफ़ी दिलवाने की माँग तो कर ही डाली है।
लेकिन इसका असर पीएम पर नहीं पड़ेगा ऐसा मानना ग़लत होगा। हार्दिक के आरोप से गुजरात दंगों के संबंध में उनके बारे में बनी धारणाएं और पुख़्ता होंगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहले से ही दाग़दार उनकी छवि को धक्का लगेगा।
How much truth and politics is in hardik patel letter?
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