सर्जिकल स्ट्राइक के बाद आगे अंधा मोड़ है


पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के पाँच से सात ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक करके भारत ने इस्लामाबाद ही नहीं पूरी दुनिया को संदेश दे दिया है। उसने जता दिया है कि अब बर्दाश्त करने की सीमा ख़त्म हो चुकी है और वह सैनिक कार्रवाई करने के लिए तैयार है।

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दरअसल इस सर्जिकल स्ट्राइक का महत्व जितना कार्रवाई में नहीं है, उतना इस बात मैं है कि सरकार ने इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है। संभव है कि इस तरह की कार्रवाईयों पहले भी हुई हों, मगर भारत ने कभी उनकी घोषणा नहीं की। ये भी ध्यान रहे कि भारतीय सेना के कमांडो ने सीमा पार करके ऑपरेशन को अंजाम दिया।

सीमा पार से निर्यात हो रहे आतंकवाद से निपटने के लिए ये ज़रूरी हो गया था कि भारत कुछ ठोस क़दम उठाए, लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक के बाद अब ये भी स्पष्ट हो गया है कि भारत और पाकिस्तान दोनों टकराव या सच कहें तो युद्ध की दिशा में एक क़दम और आगे बढ़ गए हैं।

हालाँकि पाकिस्तान अभी स्पष्ट संकेत नहीं दे रहा। वह स्ट्राइक को कम करके भी बता रहा है और शायद नहीं चाहता कि बात बढ़े। लेकिन शायद अब ये पाकिस्तानी हुकूमत और फौज के लिए ज़रूरी भी हो गया है कि वह भारत की इस कार्रवाई का जवाब दे, क्योंकि उसने पाकिस्तानी अवाम को अपनी ताक़त और इरादों के बारे में जो भरोसे दिए हैं उनकी वजह से वे खामोश नहीं बैठ सकते। उसकी चुप्पी को कमज़ोरी माना जाएगा और ये बहुत सारे परिवर्तनों को जन्म दे सकता है।

बहुत मुमकिन है कि एक बार फिर चुनी हुई सरकार बर्खास्त हो जाए और सेनाध्यक्ष राहिल शरीफ सत्ता सँभाल ले, जिसका मतलब है कि सेना ही तय करेगी कि आगे क्या होना है। ऐसे में लाज़िमी है कि जंग की आशंकाएं बढ़ती चली जाएं।  लेकिन अगर तख़्ता पलट नहीं भी होता है तो भी उसे कुछ तो करना ही होगा।

भारत विरोध की खुराक़ पर जीने वाली पाकिस्तानी सेना और अवाम इसे मंज़ूर नहीं करेगी कि भारत को कोई जवाब दिया ही न जाए। उन्हें लग सकता है कि अगर वे इस बार चुप रह गए तो भारत के हौसले बढ़ जाएंगे और वह फिर हमले करेगा। साफ़ है कि पाकिस्तान के सामने आगे कुँआ और पीछे खाई है।

वास्तव में आगे अंधा मोड़ है और सावधानी न बरती गई तो दोनों देश चौथी बार आमने-सामने खड़े हो जाएंगे। यानी जिस युद्ध को पूरी दुनिया नहीं चाहता उसके बादल मँडराने लगे हैं। अब ये विश्व बिरादरी की ज़िम्मेदारी है कि हस्तक्षेप करे और दोनों को आगे बढ़ने से रोके।

अगर वह सचमुच में शांति चाहिए तो पहले तो पाकिस्तान को ही रोकना होगा, क्योंकि आतंकवादियों को रोकने में उसकी नाक़ामी या अनिच्छा ने भारत को ही नहीं समूचे क्षेत्र के लिए परेशानियाँ खड़ी कर रखी हैं। अगर ऐसा हो जाए तो भारत के लिए फिर कोई और सैन्य कार्रवाई करने का औचित्य नहीं रह जाएगा। एवज में वह भारत से कश्मीर में राजनीतिक समाधान की प्रक्रिया शुरू करने का आश्वासन माँग सकता है। उस सूरत में पाकिस्तान के पास कोई बहाना भी नहीं बचेगा।

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद आगे अंधा मोड़ है
After surgical strike a blind turning ahead

Written by-प्रद्युम्न सिंह

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