मोदी ने बीजेपी पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी-चिंदबरम


नोटबंदी की विफलता से खुश लोगों की अगर सूची बनाई जाएगी तो उसमें जिन लोगों का नाम सबसे ऊपर होगा उनमें भी पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम टॉप पर होंगे। सरकार की इस नाकामी की वजह से पहली बार उन्हें मौक़ा मिला है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार से बदला चुकाने का, उसे फटकारने का और वे ये काम वे उसी तरह कर रहे हैं जैसे कोई धोबी घाट पर कपड़े पछीटते समय करता है। चूँकि पब्लिक का मूड भी अब उखड़ा हुआ है इसलिए उनके हौंसले और भी बुलंद हैं। यही वजह है कि पिछले डेढ़ साल में एनकाउंटर की करीब दर्ज़न भर अर्जियाँ खारिज़ कर चुके चिंदंबरम ने इस बार मुझे फौरन बुला लिया। घर पहुँचने पर मैंने उन्हें किताबों, दस्तावेज़ों और अख़बारों के ढेर के बीच पाया। मैं घबरा गया कि अगर वे मुझ पर आँकड़ों की बारिश करने  लगे तब तो सुबह से शाम हो जाएगी और उनकी राम कहानी ख़त्म नहीं होगी। इसीलिए मैंने उनसे कहा कि खुले में बैठकर इत्मिनान से बात करते हैं। चिदंबरम ने पहले किताबों और दस्तावेज़ों की तरफ प्यार भरी नज़रों से देखा और फिर अनमनेपन के साथ उठकर लॉन में चले आए। बहरहाल, वे उदासी के भँवर में डूब जाएं इसके पहले ही मैंने सवाल-जवाब का सिलसिला शुरू कर दिया।

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चिदंबरम साहब, सरकार का कहना है कि आप लोग नोटबंदी का इसलिए विरोध कर रहे हैं क्योंकि आपको काले धन वालों की चिंता है, देश की नहीं?
ज़रा इस सरकार से पूछिए कि जब पहले की सरकारें बड़े नोट बंद करने पर विचार कर रही थीं तब बीजेपी उसका विरोध क्यों कर रही थी। क्या इसलिए कि वह काले धन वालों को बचाना चाहती थी? मैं कहूँगा नहीं। असल में उसे पता था कि नोटबंदी काले धन का इलाज है ही नहीं और इससे तमाम तरह की दिक्कतें पेश आएँगी, जो कि आज हम देख रहे हैं। लेकिन चूँकि बीजेपी दोमुँही पार्टी है, जब विपक्ष में रहती है तब कुछ और कहती है और सत्ता में आने के बाद उसका स्टैंड बदल जाता है इसलिए इस तरह की बातें कर रही है। अब देखिए कितना हास्यास्पद बयान दिया है मोदी जी ने। कह रहे हैं कि इंदिरा गाँधी को भी नोटबंदी की सलाह दी गई थी और अगर उन्होंने मान ली होती तो आज ये हाल न होता। अरे मोदीजी ज़रा तो शर्म करो। इंदिरा जी के बाद बहुत सारी सरकारें आ चुकी हैं और उनमें विपक्षी दलों की सरकारें भी शामिल हैं। आपकी अटल जी की भी सरकार शामिल है। उसने क्यों नहीं की नोटबंदी? बताएं ज़रा देशवासियों को।




लेकिन आपका भी तो रवैया बदल गया? आप उस समय नोटबंदी के बारे में विचार कर रहे थे और जब मोदी सरकार ने कर दी तो उसका विरोध करने लगे?
विचार करना एक बात है और कार्रवाई करना दूसरी। सरकारें तो कई चीज़ों पर विचार करती रहती हैं मगर जब तक कुछ करती नहीं तब तक उन्हें उससे बाँधा नहीं जा सकता।

लेकिन बीजेपी का स्टैंड काले धन के खिलाफ़ हमेशा से रहा है?
काले धन के खिलाफ़ काँग्रेस का स्टैंड भी हमेशा से यही रहा है, बल्कि मैं तो कहूँगा कि कोई ऐसा राजनीतिक दल नहीं है जो काले धन के सपोर्ट में हो, सब उसके ख़िलाफ़ हैं और कार्रवाई चाहते हैं। लेकिन मैं जो कहना चाहता हूँ वह ये है कि बीजेपी का रवैया इसमें भी दोहरा रहा है। सन् 2011 में बीजेपी ने एक रिपोर्ट तैयार करवाई थी, ज़रा उसमें डोभाल और गुरूमूर्ति के बयान पढ़ लीजिए। दोनों दलीलें दे रहे हैं कि देश के अंदर जो काला धन है वह इकोनामी को चला रहा है, उसमें ऑयल का काम कर रहा है। दरअसल, बीजेपी जुमलेबाज़ी में विश्वास करती है। उसे जब जो जुमला राजनीतिक फ़ायदे वाला दिखता है, वह उसी को अपना लेती है।

आपके हिसाब से तो नोटबंदी पूरी तरह नाकाम रही है उससे कुछ नहीं हुआ। मगर मोदीजी और उनकी पार्टी तो इसे कामयाब बता रही है?
मैं मोदीजी को खुली चुनौती देता हूँ, वे आएँ और मुझसे बहस कर लें। मगर हाँ, बहस जुमलेबाज़ी वाली नहीं होगी, आँकड़ों और प्रमाणों की होगी। मुझे पूरी आशंका है कि वे झूठ और भावनाओं का इस्तेमाल करके जनता को बहलाने की कोशिश करेंगे क्योंकि यही वे करते आए हैं। वास्तव में खुद उन्हें भी पता है कि नोटबंदी न केवल असफल हो गई है बल्कि इसने इकोनॉमी को भी ज़बर्दस्त धक्का पहुँचाया है।

आप किस आधार पर कह रहे हैं कि नोटबंदी विफल हो गई, जबकि बड़े पैमाने पर काला धन बैंकों में जमा हो गया है?
यही तो लोग समझ नहीं रहे हैं कि बैंकों में जमा काला धन सफ़ेद हो गया है। काले धन वालों ने तरह-तरह की तिकड़में करके अपना काम करवा लिया है। अब मोदीजी और उनके खास जेटलीजी धमकाने की कोशिश कर रहे हैं कि जाँच की जाएगी। आप करवाते रहिए जाँच, मगर असल में होगा क्या? होगा ये कि इनकम टैक्स अधिकारी ले-देकर मामला सेटल करने लगेंगे और अपनी जेबें भरेंगे। सच बात तो ये है कि न काला धन कम होगा न करप्शन कम होगा। उल्टे वह और बढ़ेगा, क्योंकि जिनको थोड़ा-बहुत नुकसान हुआ है वे उसकी भरपाई के लिए और करप्शन करेंगे। अब बताइए, इतनी बड़ी मात्रा में नई करेंसी पकड़ी जा रही है तो ये कहाँ से आ रही है? मिलीभगत से न? मैं तो कहता हूँ कि सीधे छापेखाने से नोट लोगों तक पहुँचाए गए हैं। बैंकों ने करेंसी उठाकर बैंक में बाँटने के बजाय कमीशन लेकर सीधे लोगों के हवाले कर दी है।




आप ये तो कह सकते हैं कि नोटबंदी पर अमल में खामियाँ हैं या सरकार ने पूरी तैयारी नहीं की, मगर सरकार की नीयत पर तो शक़ नहीं कर सकते न। उसने तो नेक इरादे से ये क़दम उठाया था?
नेक इरादा....(जोर का ठहाका)। ये आप मीडिया वाले भी या तो भोले हो या फिर भोले बनने के लिए मजबूर हो। पता नहीं इसमें नेक इरादा आपने कहाँ देख लिया। अरे ये सीधे-सीधे राजनीतिक फ़ायदे की नीयत से उठाया गया क़दम था। हर मोर्चे पर नाकाम मोदी लोगों का ध्यान हटाने के लिए कुछ करना चाहते थे इसलिए पहले उन्होंने सरहद पर सर्जिकल स्ट्राइक करने की नौटंकी की और फिर उन्हें लगा कि काले धन को लेकर शोर मच रहा है तो नोटबंदी ले आए। यूपी चुनाव जीतना भी उनका मक़सद तो था ही। लेकिन उन्हें इस तरह के उपायों की कोई समझ तो थी नहीं। उनके कुछ चापलूस सलाहकारों ने उन्हें ये राय दी होगी और वे गदा लेकर मैदान में कूद पड़े। इसलिए ये मत कहिए कि उन्होंने काला धन ख़त्म करने या करप्शन मिटाने के लिए ये क़दम उठाया। हाँ ये जरूर हो सकता है कि अपने आदमियों को लाभ पहुँचाने के लिए ऐसा किया हो। मेरे पास कोई प्रमाण नहीं है इसका मगर जिस तरह से बीजेपी नेताओं के पास से धन पकड़ा गया है और पार्टी ने ज़मीने खरीदी हैं उससे यही ज़ाहिर होता है।

तो आप ये कहना चाहते हैं कि नोटबंदी राजनीतिक फ़ैसला है और इसका काले धन की सफाई से कोई भी लेना-देना नहीं है?  
बिल्कुल यही कहना चाहता हूँ, आपने सही पकड़ा है। सौ फ़ीसदी सचाई यही है, इसके सिवा कुछ भी नहीं। अगर ये फ़ैसला सोच-समझ के लिया गया आर्थिक फ़ैसला होता तो इतनी अराजकता न फैलती। नोटबंदी के ऐलान के बाद सरकार ने कितनी बार अपने नियम बदले हैं ये आप देख लीजिए। ये तो सरासर ग़ैर ज़िम्मेदार रवैया है। और अब कह रहे हैं कैशलेस इकोनॉमी बनाएंगे। आप काले धन की सफ़ाई से डिजिटल लेनदेन पर आ गए और यही साबित करता है कि आप मान चुके हैं कि आपसे चूक हुई है। मगर क्या है न कि आप में अहंकार इतना भरा हुआ है कि आप सच स्वीकार करने में अपना अपमान समझते हैं। और ये कैशलेस इकोनॉमी भी एक बड़ा मज़ाक है। बड़े-बड़े मुल्क तक अभी ये नहीं कर पाए और आप खयाली पुलाव पका रहे हो या फिर देश को मूर्ख बना रहे हो।

तो आप इस निष्कर्ष पर भी पहुँच गए कि नोटबंदी नाकाम हो गई है?
इतनी देर से और मैं क्या कह रहा हूँ पत्रकार महोदय? नोटबंदी पूरी तरह से फेल हो चुकी है और अब तो बीजेपी के अंदर घबराहट और बौखलाहट दोनों फैल गई है। मुझे तो लगता है कि यही आलम रहा और अगर बीजेपी नेताओं में सद्बुद्धि आ गई तो वे मोदी को हटा देंगे। नहीं हटाएंगे तो उनकी लुटिया डूबना तय है।




कहीं आप दिन मे ख्वाब तो नहीं देख रहे?
आज की तारीख़ में आपको मेरी बात से ऐसा ही लगेगा। मगर अगले दो महीनों में देखिएगा अगर सरकार ने नोटबंदी को वापस न लिया तो मोदीजी का क्या हश्र होता है।

चिदंबरम इतना कहने के बाद सचमुच में कहीं खो गए। मुझे लगा कि वे ख्वाब देखने लगे हैं कि काँग्रेस की सरकार बन गई है और वे फिर से वित्तमंत्री बनकर नोटबंदी की वापसी की घोषणा कर रहे हैं। मैंने उन्हें उनके हाल पर छोड़ा और चला आया। 

मोदी ने बीजेपी पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी-चिंदबरम

Written by-डॉ. मुकेश कुमार


डॉ. मुकेश कुमार











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note demonetisation fake encounter p-chidambaram Palaniappan Chidambaram Written by-Dr. Mukesh Kumar

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