दंगों में तो दोनों शामिल थे, मगर काँग्रेस ज़्यादा बड़ी दोषी


राहुल गाँधी के विवादास्पद बयान ने काँग्रेस को फिर से कठघरे में खड़ा कर दिया है। राहुल का ये कहना कि चौरासी के दंगों में कांग्रेस शामिल नहीं थी ठीक उसी तरह से असत्य है जैसे बीजेपी का ये कथन कि गुजरात दंगों में बीजेपी शामिल नहीं थी। इसके पर्याप्त सबूत और गवाह मौजूद हैं कि चौरासी और दो हज़ार दो के दंगों  में दोनों पार्टियाँ और उनकी सरकारें शामिल थीं।
दंगों में तो दोनों शामिल थे, मगर काँग्रेस ज़्यादा बड़ी दोषी

ये समझ से बाहर है कि राहुल गाँधी ने ऐसा क्यों कहा, जबकि ऐसा कहे बिना उनका काम चल सकता था। अगर वे अपनी पार्टी की साख को वापस पाना चाहते थे, तो उनका ये स्वीकार करना ज़्यादा फ़ायदेमंद होता कि कुछ काँग्रेसी नेताओं की दंगों में भूमिका रही होगी और उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए।

वह ये भी स्वीकार कर लेते तो अच्छा होता कि उस समय की सरकार से दंगों को रोकने के मामले में गंभीर चूक हुई थी।  इससे ये पता चलता कि वे भूल सुधार करना चाहते हैं और दंगों को लेकर उन्हें और उनकी पार्टी को गहरा अफ़सोस है। अगर वे दंगों के लिए माफ़ी माँग लेते तो और भी अच्छा होता।

राहुल गाँधी ने ऐसा न कहकर बीजेपी को एक मौक़ा दे दिया और अब वह उस मौक़े का जमकर राजनीतिक दोहन कर रही है। ये स्वाभाविक भी है। चुनावी साल में हर पार्टी ऐसा करती है। अब ये काँग्रेस प्रवक्ताओं की कमज़ोरी कहा जाए या मीडिया का एकतरफा रवैया कि वह किसी भी विवाद का वही पक्ष एजेंडा बना लेता है जिसमें सत्ताधारी दल को फ़ायदा और विपक्षी दलों को नुकसान हो।

अन्यथा देखा जाए तो चौरासी के दंगों में जितना काँग्रेस के लोग शामिल थे उतना ही बीजेपी और उसके सहयोगी संगठना यानी आरएसएस वगैरा। दरअसल, इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद जो गुस्सा फूटा था वह काँग्रेसियों का भी था और हिंदुओं का भी। पंजाब में सिख आतंकवादी हिंदुओं को चुन-चुनकर मार रहे थे।
उन्होंने खालिस्तान के आंदोलन को सिख बनाम हिंदू बना लिया था। वे केंद्र की सरकार को हिंदुओं की सरकार कहते थे। इंदिरा गाँधी ने जब ऑपरेशन ब्लूस्टार के तहत अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में खालिस्तानियों की सफ़ाई के लिए फौजी कार्रवाई की तो इसे भी उन्होंने इसी रूप में प्रचारित किया। इंदिरा गाँधी की हत्या भी इसी घृणा और प्रतिशोधपूर्ण कार्रवाई का नतीजा थी।




ऐसे में जो हालात बने उसमें काँग्रेसियों ने कम और हिंदू उन्माद ने सिखों के कत्ल-ए-आम को ज़्यादा हवा दी। इसमें हिंदूवादी संगठनों और उनके नेताओं की अहम भूमिका थी। उस समय इन लोगों ने ऐसा माहौल बना दिया था कि अधिकांश हिंदू सिखों को मारकर बदला लेना चाहते थे।

ये बेशक बिल्कुल ग़लत था, क्योंकि न तो सारे सिख आतंकवादी थे और न ही वे खालिस्तान आंदोलन के साथ थे। पंजाब के बाहर रहने वाले सिखों को निशाना बनाना विशुद्ध तौर पर आपराधिक कार्रवाई थी और उसे किसी भी हालत मे सही नहीं ठहराया जा सकता।

इसके बावजूद अगर काँग्रेस को सबसे बड़ा दोषी माना जाता है और जो कि वह है भी तो इसलिए कि उसने अपने नेताओं को रोका नहीं। दिल्ली में हरकिशन लाल भगत, सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर ने दंगे भड़काने में बड़ी भूमिका निभाई इसके बहुत सारे सबूत मौजूद हैं। लेकिन काँग्रेस ने न तो इनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की और न ही उन्हें सज़ा दिलाने के लिए ईमानदार प्रयास किए। उल्टे वह जब तक उनके राजनीतिक पुनर्वास की कोशिशें तक करती दिखी। इसलिए राहुल गाँधी को तो ये कहना ही नहीं चाहिए कि काँग्रेस दंगों में शामिल नहीं थी और न ही वह इसके लिए ज़िम्मेदार है।




लेकिन बीजेपी किस मुँह से खुद को साफ़-सुथरा दिखाने की कोशिश कर रही है। क्या वह शोर मचाकर अपने दंगाई चरित्र पर पर्दा नहीं डाल रही है। चौरासी के दंगों में उसके और संघ के कार्यकर्ता शामिल थे, ये तय है भले ही कानुन उनकी शिनाख्त न कर पाया हो और उन्हें दंडित करने में निज़ाम असफल रहा हो।

गुजरात में तो उसने अपने लोगों को मुसलमानों के सफाए की खुली छूट दे रखी थी। गुजरात सरकार में मंत्री माया कोडनानी तो अपराधी साबित ही हो चुकी हैं। खुद बीजेपी अध्यक्ष इसके लिए जेल यात्रा कर चुके हैं और अगर सही ढंग से कानूनी कार्रवाई चली होती तो शायद जेल में ही होते।

फिर गुजरात दंगों और उसके अलावा भी हर दंगे में संघ परिवार की भूमिका हर बार साबित होती रही है। मुंबई दंगों में श्रीकृष्ण कमीशन की रिपोर्ट के पन्ने पलट लीजिए आपको ढेरों सबूत मिल जाएंगे। हाल के मुजफ्फ़रनगर के दंगे भी बीजेपी नेताओं की ही देन थे। सचाई ये है कि दंगों की राजनीति में काँग्रेस बीजेपी के सामने कहीं ठहरती ही नहीं है।

जहाँ तक राहुल गाँधी और काँग्रेस का सवाल है तो उन्हें चौरासी के दंगों की ज़िम्मेदारी न केवल स्वीकार करना चाहिए बल्कि उसके लिए माफ़ी भी माँग लेना चाहिए। अगर वे झुठलाने में ही लग रहेंगे तो इसका प्रेत उनके सर पर मँडराता रहेगा और उन्हें नुकसान पहुंचाता रहेगा।

दंगों में तो दोनों शामिल थे, मगर काँग्रेस ज़्यादा बड़ी दोषी
Written by-हरकीरत सिंह

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