कांग्रेस ने बदल दी अपनी चुनावी रणनीति?

कांग्रेस ने बदल दी अपनी चुनावी रणनीति?

A New Congress Strategy: Is This Their Masterstroke?  #Congress, #PollStrategy, #Election2024, #IndianPolitics, #CongressMasterstroke   (नीचे पूरा वीडियो ट्रांसक्रिप्ट पढ़ें:)

इस वीडियो में, हम इस ज्वलंत प्रश्न पर चर्चा करेंगे: क्या कांग्रेस ने अपनी चुनावी रणनीति बदल दी है?

A New Congress Strategy: Is This Their Masterstroke?
A New Congress Strategy: Is This Their Masterstroke?

चुनाव नजदीक आने के साथ, हर कोई इस बारे में चर्चा कर रहा है कि कांग्रेस अपने पक्ष में स्थिति को बदलने के लिए क्या कदम उठाएगी।

क्या उन्होंने कोई नया गेम प्लान बनाया है जो संभावित मास्टरस्ट्रोक साबित हो सकता है?

हम उनकी रणनीति में हुए नवीनतम बदलावों, उनके अवसरों के लिए इसके क्या मायने हो सकते हैं, और क्या यह बदलाव उनके प्रतिद्वंद्वियों को चुनौती देने के लिए पर्याप्त साहसी है, इस पर चर्चा करेंगे।

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हमारे साथ बने रहें क्योंकि हम कांग्रेस की नई चुनावी रणनीति के प्रमुख तत्वों का विश्लेषण करेंगे और चर्चा करेंगे कि यह राजनीतिक परिदृश्य को कैसे नया रूप दे सकती है।




In this video, we dive into the burning question: Has Congress changed its poll strategy? 

With elections around the corner, everyone’s talking about what moves Congress will make to turn the tide in their favor. 

Have they come up with a new game plan that could be a potential masterstroke? 

We'll explore the latest shifts in their strategy, what it could mean for their chances, and whether this change is bold enough to challenge their rivals. 

Stay tuned as we break down the key elements of Congress’ new poll strategy and discuss how it might reshape the political landscape.

नीचे पूरा वीडियो ट्रांसक्रिप्ट पढ़ें:

दोस्तों, कांग्रेस पार्टी, अब जितने भी चुनाव हो रहे हैं हर जगह वह जो सहयोगी दल हैं उनके लिए ज्यादा से ज्यादा स्पेस दे रही है ज्यादा से ज्यादा कुर्बानी दे रही है अब देखिए कि उत्तर प्रदेश में नौ सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं पहले कांग्रेस पांच सीटें मांग रही थी फिर तीन सीटें मांग रही थी और कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी दो सीटें देने के लिए तैयार थी। 

लेकिन विवाद ना हो इस वजह से कांग्रेस पार्टी ने वह दो सीटें भी नहीं ली अब पूरी नौ की नौ सीटें समाजवादी पार्टी के सिंबल पर लड़ी जानी है कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार होंगे लेकिन वह कांग्रेस पार्टी के सिंबल पर नहीं लड़ेंगे चुनाव, क्योंकि इससे वोटों के बटने का खतरा भी चला जाता है। 

और कांग्रेस पार्टी पर अब तोहमत भी नहीं लगेगी कि उसने जबरन दो तीन सीटें ले ली और वह चुनाव जीत भी नहीं पाई यह तय है साफ है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का ना तो संगठन है ना वैसा जनाधार है। 

एक अपील जरूर है दलित मतदाताओं में अल्पसंख्यक मतदाताओं में और उसकी वजह से लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को भी फायदा हुआ और समाजवादी पार्टी का जो जो वोट बैंक है उसकी वजह से कांग्रेस पार्टी को भी फायदा हुआ और उसने इतनी सारी सीटें जीत ली जहां कि उसके लिए बहुत गुंजाइश दिख नहीं रही थी। 

तो अब उप-चुनाव में भी, उत्तर प्रदेश के ये उप-चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे योगी का भविष्य तय होना है उत्तर प्रदेश में आगे जो विधानसभा के चुनाव 2027 में होने जा रहे हैं उसके लिए भी एक ट्रेंड सेट होगा। 

क्योंकि एक मुश्त चुनाव हो रहे हैं और एक सीट के लिए जो चुनाव छूट गया है या चुनाव आयोग ने नहीं करवाया है क्योंकि बीजेपी घबराई हुई थी मिल्कीपुर का जो कि अयोध्या क्षेत्र में है वह भी हो रहा है तो अगर इन नौ सीटों के चुनाव परिणाम अच्छे रहे इंडिया गठबंधन के लिए तो उसके उपचुनाव में भी उनको फायदा मिलेगा। 

और वहां अगर चुनाव जीत पाए तो यह बीजेपी के लिए योगी आदित्यनाथ के लिए मोदी के लिए एक और शर्मनाक स्थिति होगी क्योंकि लोकसभा चुनाव में वह अयोध्या सीट गंवा चुके हैं 

तो यह तो थी उत्तर प्रदेश की बात अब आप देखें, महाराष्ट्र में जहां पर अभी लोकसभा जो चुनाव हुए थे उनमें जो असेंबली सेगमेंट के हिसाब से देखा जाए तो कांग्रेस पार्टी शिवसेना और एनसीपी के मुकाबले बहुत आगे थी।   

तकरीबन शिवसेना और उसकी सीटों में तकरीबन 20 के आसपास सीटों का अंतर था इसके बावजूद जब यह टसल चल रही थी महा विकास आघाडी शिवसेना बार-बार जोर दे रही थी कि वो 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। 

पहले जो फार्मूला तय हुआ था कि कांग्रेस 105 से 110 सीटों पर लड़ेगी, शिवसेना 90 से 95 सीटों पर लड़ेगी और 75 से 80 सीटों पर एनसीपी लड़ेगी शरद पवार की, लेकिन जब यह मामला नहीं सुलझ रहा था तो फाइनली यह हुआ कि तीनों गठबंधन के घटकों ने तीनों पार्टियों ने तय किया कि तीनों ही 85-85 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। 

शायद यह फार्मूला इसलिए भी ठीक था कि पिछले चुनाव में पिछले विधानसभा चुनाव में तीनों पार्टियों ने लगभग एक जैसी सीटों पर चुनाव लड़े था शिवसेना ने 124 सीट पर लड़ा था जबकि एनसीपी शरद पवार या उस समय तो एक ही थी एनसीपी ने और कांग्रेस ने 125-125 सीटों पर चुनाव लड़ा था। 

लेकिन तब उस गठबंधन में दो ही जो 2019 के चुनाव थे उसमें दोनों गठबंधन में दो ही पार्टियां थी इसलिए इतनी सीटें वह लड़ पाए थे अब जब तीन के बीच सीटें बटनी है तो जाहिर है कि सीटों की संख्या सभी की कम होगी। 

हालांकि इस बंटवारे में एनसीपी को ज्यादा फायदा हो गया है क्योंकि उसका दावा 70-75 सीटों से ज्यादा बनता नहीं था अब उसे भी 85 सीटें मिल गई हैं यह भी माना जा रहा है कि हो सकता है कि यह जो बंटवारा है यह क्योंकि महाविकास आड़ी पर बहुत दबाव पड़ रहा था। 

मीडिया में बार-बार चर्चाएं चल रही थी कि महा विकास आघाडी तय नहीं कर पा रहे हैं कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा तो इस चर्चाओं को इस विवाद को बंद करने के लिए इस तरह की एक अरेंजमेंट का ऐलान कर दिया गया सीटों के बंटवारे का और बाद में जो बची सीटें हैं कुल 33 सीटें अभी भी बची हुई हैं जिनका फैसला होना है। 

उसमें कहा जा रहा है कि 15 सीटें तो जो सहयोगी दल है जिसमें समाजवादी पार्टी है सीपी सीपीएम है आम आदमी पार्टी है और पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी है इन सबको बटेगी, और बाकी की जो सीट होंगी उनको अभी और इन गठबंधन के बीच में बांट लिया जाएगा।  

तो जो टसल है दो पार्टियों में ज्यादा है शिवसेना और कांग्रेस पार्टी में और यह टसल भी दो इलाकों को लेकर ज्यादा है एक विदर्भ का क्षेत्र है और दूसरा मुंबई का जहां इन दोनों के बीच खींचतान मची हुई है कि कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा। 

लेकिन मुख्य मुद्दा यह है कि इस अरेंजमेंट में कांग्रेस जो सबसे बड़ी पार्टी है एक तरह से देखा जाए तो पूरे महाराष्ट्र में अगर जिसकी उपस्थिति है इसका असर है वह कांग्रेस पार्टी है बाकी दोनों पार्टियों का अपना एक विशेष क्षेत्र है। 

जैसे शिवसेना का जो क्षेत्र है वो मोटे तौर पर मुंबई है और थाणे और कोकड़ का इलाका और एक हिस्सा मराठवाड़ा का भी मान लीजिए वहां है बाकी क्षेत्र में उस तरह से नहीं है विदर्भ में पिछली बार उसने 12-13 सीटों पर चुनाव जरूर लड़ा था लेकिन वहां पर उसकी उपस्थिति ना के बराबर रही। 

इसी तरह से अगर आप एनसीपी को देखेंगे तो उसकी उपस्थिति मुंबई और कोकड़ वाले बेल्ट पर बहुत कम है विदर्भ में भी व उतनी मजबूत नहीं है उसका जो इलाका है वो बेसिकली मराठवाड़ा का है पश्चिमी मराठवाड़ा में उसकी स्थिति ना केवल है बल्कि वह बहुत मजबूत भी है और एनसीपी का वहां पर जबरदस्त जलवा है खास तौर पर शरद पवार की एनसीपी का। 

शरद पवार का जलवा है करिश्मा है तो वह उस इलाके में बहुत अच्छा कर सकती है तो यह जो एक नई प्रवृत्ति नई समझदारी कहना चाहिए कांग्रेस में आई है कि इस समय कोलिशन पॉलिटिक्स की जरूरत है और उसमें कांग्रेस पार्टी को थोड़ा उदार होना पड़ेगा थोड़ा लचीला होना पड़ेगा।

और जो बाकी के घटक दल हैं उनके लिए थोड़ा स्पेस अगर नुकसान भी होता है तो भी देना पड़ेगा अगर उसने अड़ियल रुख अपनाया तो होगा यह कि फायदा बीजेपी को होगा और तोहमत कांग्रेस पर आएगी कि वो मध्य प्रदेश में कमलनाथ ने खेल बिगाड़ा, अखिलेश अखिलेश कौन है यह कह के। 
फिर आप देखिए कि हरियाणा में ना आम आदमी पार्टी से समझौता हो पाया और समाजवादी पार्टी भी उम्मीद कर रही थी कि जो यादव का बेल्ट है वहां पर कम से कम एक सीट दे देगी तो उससे उसका भी वहां पर एक उपस्थिति दर्ज हो जाए तो उसने जो जाट जो हरियाणा की लोकल लीडरशिप है उसने यह करने नहीं दिया। 

और इसकी वजह से कई सीटें कांग्रेस ने गवाई और अब सरकार भी नहीं बना पाई है तो एक रीजन यह था हालांकि और भी रीजन थे लेकिन एक रीजन यह भी माना जाता है कि उसने जो कोलिशन पॉलिटिक्स है वहां ढंग से नहीं की। 

कोलिशन के जो दूसरे घटक दल है उनको वहां चुनाव प्रचार के लिए भी आमंत्रित नहीं किया अगर यादव वाले बेल्ट में अखिलेश यादव जाते एक सीट चुनाव लड़ते तो शायद उस पूरे इलाके में फर्क पड़ता तो यह चूक कांग्रेस को हुई है और उसकी उसने कीमत भी चुकाई है। 

दोनों राज्यों में और अब यह माना जा रहा है कि वो यह यह गलती नहीं दोहराना चाहती है और चूंकि अब इसके बाद और भी चुनाव आने हैं दिल्ली में चुनाव हैं फिर दूसरे राज्यों के चुनाव बिहार के आ जाएंगे हर जगह उसे यह समझदारी दिखानी पड़ेगी। 

झारखंड में भी मामला फंस गया था आरजेडी की जिद की वजह से लेकिन उसको भी राहुल गांधी और लालू प्रसाद यादव की बीच एक बातचीत हुई लालू यादव की जो मांग थी उसको रोक लिया और वहां भी एक समझौता हो गया है तो झारखंड का मामला सुलझ गया है। 

और महाराष्ट्र के मामले में भी थोड़ा बहुत पेच है अभी लेकिन एक दो दिन में वह भी सुलझ जाएगा और इसका बहुत हद तक क्रेडिट जाएगा अगर तो वह कांग्रेस पार्टी को जाएगा। 

क्योंकि उसने समझदारी दिखाई, उसने वह गलत नहीं की पैर में कुल्हाड़ी मारने वाली, जो पिछले राज्यों में वह करती रही है। 

बहुत-बहुत शुक्रिया आपका धन्यवाद नमस्कार

वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण
Analysis by senior journalist
Dr. Prof. (Dr.) Mukesh Kumar
Journalist, TV Anchor, Writer, Poet & Translator

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