यह जानने के लिए अंत तक देखें कि पर्दे के पीछे वास्तव में क्या हो रहा है और यह देश के हर मतदाता के लिए क्यों मायने रखता है।
क्या आप जानना चाहते हैं कि ईवीएम परीक्षण अचानक इतना संवेदनशील विषय क्यों बन गया है?
राजनीतिक कानाफूसी से लेकर जनता के बढ़ते संदेह तक, यह वीडियो उन सभी कोणों को कवर करता है जिनकी आपको बड़ी तस्वीर को समझने की ज़रूरत है।
नीचे टिप्पणियों में बातचीत में शामिल हों और चर्चा करें—आपको क्या लगता है कि वे क्या छिपा रहे हैं, और अभी क्यों?
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EVM testing denied? What’s the real story behind the government’s silence on EVM testing?
This unexpected move has sparked nationwide debates, leaving everyone wondering—what are they afraid of?
In this video, we dive deep into the controversy, uncovering the questions that no one else is daring to ask.
Is this just a technical glitch, or is there a bigger plan at play? Watch till the end to find out what’s really happening behind the scenes and why it matters to every voter in the country.
Are you curious about why EVM testing has suddenly become such a sensitive topic?
From political whispers to the public’s growing skepticism, this video covers all the angles you need to understand the bigger picture.
Join the conversation in the comments below and let’s discuss—what do you think they’re hiding, and why now?
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वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का विश्लेषण Analysis by senior journalist Prof. (Dr.) Mukesh Kumar Journalist, TV Anchor, Writer, Poet & Translator
प्रोफेसर (डॉक्टर) मुकेश कुमार के बारे
एक शख्स जो सुबह यूनिवर्सिटी में पढ़ाता है, फिर किसी चैनल पर बहस कर रहा होता है, और शाम को किताब लिखने में जुट जाते हैं! जी, वही हैं हमारे डॉ. (प्रोफेसर) मुकेश कुमार.
Dr. Mukesh Kumar
उन्होंने मीडिया की दुनिया में 30 साल से भी ज़्यादा का समय बिताया है. सोचिए, जब टीवी पर रंगीन टीवी नहीं आते थे, तब वह पत्रकारिता कर रहे थे!
उनके नाम छह न्यूज़ चैनल लॉन्च करने का रिकॉर्ड है, और अनगिनत शोज़ की एंकरिंग कर चुके हैं. उनकी बातचीत इतनी दिलचस्प होती है कि दर्शक टकटकी लगाकर देखते रहते हैं.
लेकिन प्रोफेसर कुमार सिर्फ टीवी के ही सुल्तान नहीं हैं. उन्हें लिखने का भी बड़ा शौक है.
उनकी 13 किताबें छप चुकी हैं, जिनमें से कुछ तो पत्रकारिता की तकनीक पर हैं, तो कुछ में उन्होंने कहानियों और कविताओं को पिरोया है.
अब सोचिए, इतना कुछ करने के बाद भी वह यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं. उनकी क्लासेज़ में स्टूडेंट्स को सिर्फ थ्योरी नहीं, बल्कि असल ज़िंदगी का अनुभव भी मिलता है.
कहीं ना कहीं वह अपनी ज़िंदगी का हर रंग अपने स्टूडेंट्स पर भी बिखेर देते हैं.
तो कुल मिलाकर, डॉ. (प्रोफेसर) मुकेश कुमार एक ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने मीडिया और शिक्षा की दुनिया में अपना परचम लहराया है.
वह हर काम को पूरे जुनून और लगन से करते हैं, और यही बात उन्हें सबसे अलग बनाती है.