अजीब बात है। अदालत से बेगुनाह साबित होने के बाद भी सल्लू मियाँ उर्फ़ सलमान ख़ान के चेहरे पर कोई रौनक़ नहीं दिखलाई दे रही। बीच-बीच में खुशी परछाई की तरह आती है चली जाती है। ऐसा लगता है कभी खुशी, कभी ग़म या आधी खुशी आधी ग़म की शूटिंग चल रही हो और सलमान उसके हिसाब से अपने चेहरे के भाव बदल रहे हों। मगर ये हाल उन्हीं का नहीं है। उनके दोनों भाईयों का भी यही हाल है और अब्बू-अम्मी का भी। दरअसल, वे सब जानते हैं कि सलमान की ये बेगुनाही कितनी दाग़दार है। इसलिए जेल न जाने की खुशी तो मना लेते हैं मगर अगले ही पल ग़मगीन भी हो जाते हैं।
सलमान और उनके घर का माहौल देखकर मैं भी सकते में आ गया था। पहले पस-ओ-पेश में पड़ गया कि एनकाउंटर करूँ या न करूँ, फिर खयाल आया कि अपन तो पत्रकार हैं और पत्रकार को माहौल नही मामला देखना चाहिए। बंबईया हिंदी में बोलें तो अभी अक्खा मुलुक येइच सोच रहा है कि भाई इस बखत कैसा फील करेला है। इसी वास्ते अपुन ने पूरा दबंगई के साथ सुल्तान से सवाल पूछना शुरू कर दिया।
सलमान भाई, क्या हुआ आप खुश नहीं दिख रहे? अभी तो पार्टी-सार्टी होनी चाहिए, जश्न मनाया जाना चाहिए?
अमाँ यार पार्टी वार्टी की बात मत करो। ठीक है छूट गए, फिर से जेल की हवा खाने से बच गए, मगर बस।
बस? बस क्यों? आप और आपकी फेमिली इतने दिनों से टेंसन में चल रही थी, अब आप लोगों को निज़ात मिल गई है तो जश्न तो बनता है न भाई?
अरे छोड़ न भाई क्यों पका रहे हो। कोई और सवाल नईं है क्या आपके पास। इस तरह के सवाल से अपना मूड खराब हो जाता है।
क्या बात है सलमान भाई, कुछ तो बताओ?
देखो यार बात यूँ है कि अब हम हो गए हैं पचास के। केस के लफड़े में सोलह साल निकल गए। अब बचा क्या अपुन की लाइफ में, जिसकी खातिर सेलिब्रेट करूँ? आधी से ज़्यादा ज़िंदगी तो यूँ ही निकल गई न।
क्या सलमान भाई, आप भी क्या मायूसी भरी बातें करने लगे? अभी तो आपकी सुल्तान सुपर हिट हुई है। पाँच सौ करोड़ से ऊपर कमाई कर चुकी है आपकी मूवी?
अरे समझते क्यों नहीं भाई। मैटर पैसे का नई है, दिल का है, दिमाग़ का है जिसमें हर बखत उलझन बनी रहती है। अब बताओ, मैं पाँच सौ करोड़ का क्या करूंगा, ओढूँगा कि बिछाऊँगा? खाना तो वही दाल-रोटी है न। असल बात है सुकून, जब वही नहीं रहा तो ये शोहरत ये दौलत सब बेकार है यार।
यानी इतनी बड़ी कामयाबी से भी आप खुश नहीं हो?
ऐसा है बॉस खुश तो मैं बहुत हूँ, मगर सुखी नहीं हूँ।
मतलब?
मतलब ये कि नाम, पैसा, इज्ज़त से खुशी तो मिल सकती है लेकिन सुख-चैन नहीं।
क्या बात है आप आज अफलातून की तरह बात कर रहे हैं, फिलास्फिकल हो रहे हैं? अब तो आप बाइज्जत बरी हो गए हैं? हौसला बुलंद रहना चाहिए।
अदालतों से अगर बच गए तो इसका ये मतलब नहीं कि सचमुच में बरी हो गया। कभी-कभी उसे उसका जमीर, उसकी अंतरात्मा इस क़दर मारती है कि उसका जीना ही गुनाह हो जाता है। मुझे ऐसा ही लग रहा है इस समय। मैं जानता हूँ कि मेरे से दोनों गुनाह हुए हैं। वो मेरी रूह पर काबिज़ हैं। मेरी रूह तो उनसे कभी आज़ाद नहीं हो सकती न। ख़ुदा की अदालत में भी तो जवाब देना है भाई।
तो आपको गिल्ट, अपराधबोध सता रहा है?
यस ऑफकोर्स। बल्कि मैंने दो नहीं कई गुनाह किए हैं। झूठ बोलने का गुनाह। अपने अब्बू-अम्मी का दिल दुखाने का गुनाह। अपने चाहने वालों को धोखा देने का गुनाह। उफ़ इतने सारे गुनाह....अल्ला मुझे कभी माफ़ नहीं करेगा।
आप बेकार में सेंटी हो रहे हैं सल्लू भाई। जो हुआ उसे भूलकर नई ज़िंदगी शुरू कर सकते हैं।
मेरे अब्बू भी यही कहते हैं। मगर मैं क्या करूँ। रात में मुझे चिंकारा की चीखें सुनाई देती हैं। मेरी गाड़ी से कुचलकर मरने वाले आदमी की कराहें मुझे सोने नहीं देतीं। और तो और मुझे चिंकारा की प्रेमिका की सिसकियाँ भी सुनाई देती है। मुझे लगता है कि वह रो रोकर मुझे बद्दुआ दे रही है, शाप दे रही है कि तुझे भी अपने प्रेमी के साथ रहने को नहीं मिलेगा, तू भी उसी की तरह तड़फता रहेगा। कभी कभी तो लगता है कि इच्छाधारी नागिन बनकर वह बदला लेने आ जाएगी। अब बताओ मैं क्या करूँ? ऐसे में मुझे कैसे सुकून आ सकता है?
आपको किसी मनोचिकित्सक से मिलना चाहिए?
मनोचिकित्सक से तो मैं कई महीनों से मिल रहा हूँ मेरे भाई। मेरी फर्स्ट लवर ने, यू नो, नाम तो आप जानते ही हो, कहा था सलमान तुम मेंटल हो, इलाज करवाओ। दूसरी वाली ने भी यही कहा और कुछ साल पहले तीसरी ने भी। अभी जब रेपिस्ट वाला बयान दिया तो अनुष्का ने भी यही कहा। यहाँ तक कि अब्बू जिन्हें हर महीने दो महीने में मेरी तरफ से माफ़ी माँगना पड़ता है, ने भी यही कहा कि बेटे जब तक तेरा मेंटल बैलेंस ठीक नहीं होगा, तू यूँ ही क्राइम करके फँसता रहेगा और मैं परेशान होता रहूँगा। लेकिन मैं क्या करूँ, मेरा डॉक्टर ही कुछ कर नहीं पा रहा।
एक सलाह दूँ?
अरे दो मेरे भाई दो, सलाह दो। मुझे सलाह की सख़्त ज़रूरत है। फौरन दो।
आप तुरंत शादी कर लो।
आपने तो मेरे दिल की बात कह दी भाई। मैं तो कबसे शादी करना चहता हूँ। हम दिल दे चुके सनम के समय से ही। फिर जब कैटरीना, ज़रीन, जैक्लीन वगैरा के साथ फिल्में कीं तब भी मैने शादी करने का पक्का मन बना लिया था, मगर हमेशा कुछ न कुछ गड़बड़ हो जाती है।
अब कोई गड़बड़ मत करना। चुपचाप शादी करो और कायदे से रहो।
गड़बड़ तो हो चुकी है मेरे भाई। मैं पचास का हो गया हूँ और कोई लड़की मतलब यंग लड़की मुझसे ब्याह रचाना नहीं चाहती।
क्या बात करते हैं? आप पर मिटने वाली लड़कियों की कोई कमी है क्या? वैसे भी आपके पास इतनी शोहरत है, इतना पैसा है कि हिंदुस्तान की बहुत सारी लड़कियाँ तुरंत तैयार हो जाएंगी। आप हाँ तो कहिए?
ऐसी लड़कियाँ तो जरूर मिल जाएंगी, मगर मैं उनसे शादी करना नहीं चाहता जो केवल मेरी दौलत या शोहरत के वास्ते मुझसे निकाह पढाने को राज़ी हो जाएं। मुझे तो कोई प्यार करने वाली चाहिए, मुझ पर मर मिटने वाली चाहिए। अम्मी ठीक कहती हैं, टाइम से शादी कर लेता तो दो-चार बच्चे हो जाते और मैं छिछोरेपन से बच जाता। थोडा ज़िम्मेदार बन जाता तो ये सब होता ही क्यों? लेकिन मेरे गरूर ने मुझे बरबाद कर दिया। कामयाबी का गरूर, दौलत और शोहरत का गरूर। मैंने किसी की बात नहीं सुनी और आज इस हाल पर हूँ।
अब पछताने से क्या फ़ायदा जब चिड़िया चुग गई खेत?
अरे खेत चुग जाने पर तो पछताना ही पड़ता है भाई। अब तो नए सिरे से खेत ठीक करना पड़ेगा, बीज बोने पड़ेंगे वो भी इस बुढ़ापे में। पता नहीं चिड़िया आएंगी भी या नहीं। अल्ला मुझ पर रहम करना।
मैंने देखा सलमान की आँखों में आँसू आ गए हैं, फिल्मी वाले नहीं सचमुच के। मुझे लगा ये आदमी बहुत परेशान है और इस समय इसे अकेला ही छोड़ देना ठीक होगा। मैंने सलमान की पीठ थपथपाई और चलने लगा तो उसने कहा-मेरे लिए दुआ करना भाई। मैंने मन ही मन सोचा सल्लू मियाँ तुम्हारे लिए दुआ करने से पहले उन लोगों के लिए दुआ करनी पड़ेगी जिन पर तुमने गाड़ी चढ़ाई थी या जिसकी गोलियों से जान ले ली थी, क्योंकि उसके बिना कोई दुआ कबूल ही नहीं होगी।