अगले फेरबदल में मैं गृहमंत्री बन जाऊंगी-स्मृति ईरानी

स्मृति ईरानी बेहद ज़िद्दी और झगड़ालू किस्म की नेता हैं इसलिए ज़ाहिर है कि उन लोगों को निराशा हुई होगी जिन्होंने ये मान लिया था कि मंत्रालय बदले जाने के बाद वे दुखी होंगी और चुप बैठ जाएंगी। वे तो चुप बैठेंगी और ही बैठने देंगी। मैं जब एनकाउंटर के लिए उनके दफ़्तर पहुँचा तो दरवाज़े के बाहर से ही उनकी तेज़-तेज़ बोलने की आवाज़ें रही थीं। वे किसी पत्रकार को इस बात पर हड़का रही थीं कि उसने उनके विभाग बदले जाने को डिमोशन क्यों लिखा। मैं अंदर दाखिल हुआ तब भी उनकी मुख-मुद्रा नहीं बदली। वे खिंची हुई तलवार की तरह बैठी हुई थीं। मुझे लगा मैं ग़लत वक़्त पर गया
हूँ और कहीं ऐसा हो कि स्मृति के हाथों मेरा ही एनकाउंटर हो जाए, सचमुच का।

I shall become a minister in the next reshuffle-Irani
मैंने उनके ठंडे होने का इंतज़ार किया। उनके पुराने धारावाहिकों में उनकी भूमिकाओं और अदाकारी की
तारीफ़ की। यहाँ तक कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय में उनके कामों के बारे में चाहते हुए भी
कुछ खुश करने वाली बातें कह डालीं। खास तौर पर रोहित वेमुला और महिषासुर के मसले पर अनुकूल
बातें सुनकर मैडम का मिजाज़ बदला और वे सहज हुईँ। लेकिन मैं जानता था कि उनका सहज होना भी
सहज होना नहीं है। वे कभी भी हमलावर हो सकती हैं, इसलिए सावधानीपूर्वक सवाल करने शुरू किए।

स्मृति जी, नया मंत्रालय कैसा लग रहा है?

कैसा लग रहा है मतलब? मंत्रालय मंत्रालय होता है, काम काम होता है। (स्मृति इस सीधे से सवाल पर
भी भड़क गईं) क्या आप ये पूछने आए है कि एचआरडी छिनने के बाद कैसा लग रहा है? तो मैं आपको
बता दूँ कि अच्छा लग रहा है, बहुत अच्छा लग रहा है।

शायद आप इस बात से खफ़ा हैं कि मीडिया ने इसे आपका डिमोशन बता दिया?

ऑफकोर्स नाराज़ हूँ। जब डिमोशन था ही नहीं तो उसे डिमोशन क्यों लिख रहे हो?

देखिए सब जानते हैं कि एचआरडी हाई प्रोफाइल मिनिस्ट्री है, जबकि कपड़ा मंत्रालय सामान्य सा। आपको वहाँ से हटाकर यहाँ बैठा दिया गया तो ये एक तरह का डिमोशन ही हुआ ?

आप लोग भी जाने कैसे-कैसे तर्क देते रहते हैं। अरे मेरा डिमोशन किया ही क्यों जाएगा? मैं इतना
अच्छा काम कर रही थी कि सब खुश थे, मोदी जी खुश, अमित शाह खुश, भागवत जी खुश यहाँ तक
कि दीनानाथ बतरा भी खुश, तो फिर हटाने का सवाल कहाँ उठता है।

देखिए मसला काम का नहीं था, वो तो आप एजेंडे के तहत कर ही रही थीं। मगर मुश्किल ये थी कि आप बात-बात पर कंट्रोवर्सी खड़ी कर रही थीं। हर दिन एक नया टंटा। सरकार बदनाम हो रही थी?

ये आपसे किसने कहा कि सरकार बदनाम हो रही थी? आपने अपने मन से गढ़ ली बात? असली बात तो
ये है कि मेरी वजह से सरकार की इमेज बनी। दुनिया को पता चला कि एचआरडी मिनिस्ट्री भी एक
मंत्रालय है। हाँ, मैं ये मानती हूँ कि मेरा स्वभाव थोड़ा गरम है। मोदी जी भी कहते हैं कि स्मृति तेरे
अंदर बहुत आग है, उसे ठंडा करना पड़ेगा। शायद इसीलिए उन्होंने मुझे यहाँ भेज दिया। दरअसल, सो
काल्ड बुद्धिजीवियों ने एचआरडी को तंदूर बना दिया है। बस अटैक पर अटैक करते रहते हैं। उनका मैंने
डटकर सामना भी किया।

तो आप नहीं मानतीं कि आपको किनारे किया गया है?

बिल्कुल नहीं। बल्कि नई ज़िम्मेदारी दी गई है। एचआरडी तो मैंने ठीक कर दिया था, अब तो उसे कोई
भी चला लेगा, लेकिन कपड़ा मंत्रालय का हाल बुरा था इसलिए मोदीजी ने मुझे यहां भेज दिया।



ये आपकी ग़लतफ़हमी है। जावड़ेकर ने मंत्री बनते ही उल्टी लाइन ले ली है। वे छात्रों से कह रहे हैं विद्रोह करो, सवाल करो, चुप मत बैठो?

अरे छात्रों को जगाने का काम मैंने ही तो किया था। मैंने ही उन्हें जान-बूझकर उकसाया। मैं चाहती थी
कि दलित छात्र आगे आएँ इसलिए रोहित वेमुला के मामले में दनादन चिट्ठियाँ लिखीं। यूजीसी की
स्क़ॉलरशिप में कटौती की ताकि छात्र आँदोलन करें। जेएनयू में दखल देने का काम मेरी ही देखरेख मे
हुआ। तमाम विश्वविद्यालयों में छात्र विरोध पर उतरें इसके लिए मैंने ग़लत नीतियाँ बनाईँ, गलत लोगों
को अपॉइंट किया। आप देखिए कि दो साल के अंदर ही मैंने छात्रों के अंदर कितना गुस्सा, कितनी ऊर्जा
भर दी है। अब जावड़ेकर साहब इस काम को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं तो इसका कुछ श्रेय मुझे
भी तो दीजिए।

शिक्षा का भगवाकरण भी किया?

यस, वो भी किया। लोग विरोध करते रहे मगर मैं पीछे नहीं हटी। हटती भी क्यों, जब मोदी जी का वरद
हस्त मेरे साथ था। बेखौफ़ होकर मैंने एजेंडे को लागू किया। मैंने सुनिश्चित कर दिया कि अब
विश्विद्यालयों और तमाम शैक्षणिक संस्थानों में ऐसा कोई भी व्यक्ति नियुक्त नहीं किया जाएगा
जिसकी पूँछ आरएसएस से जुड़ी हो। इसीलिए मैं कहती हूँ कि मोदी मंत्रिमंडल की मैं सबसे काबिल
मंत्री हूँ।

अगर आप इतनी ही काबिल थीं और इतना अच्छा काम कर रही थीं तो फिर आपको हटाया क्यों गया?

मैंने बताया कि मोदी जी अब कपड़ा मंत्रालय को ठीक करना चाहते हैं। उन्हें मुझसे उपयुक्त कोई
आदमी मिला नहीं। ये तो आप जानते ही हैं कि बीजेपी में टैलेंट का अकाल है, बस मेरे जैसे एक-दो लोग
ही काम के हैं। इसीलिए उन्होंने कहा कि स्मृति तुम ही सँभालो इसे और मेरे लिए तो वे भगवान की
तरह हैं इसलिए मैने उनका आदेश सिर माथे पर रख लिया।

आप कुछ भी कहें, मीडिया को कितना भी दोष दें, मगर धारणा यही बनी है कि आपको हटाया गया हैआपके पर कतरे गए हैं?

धारणाएं तो बनती-बिगड़ती रहती हैं, वो कोई स्थायी चीज़ नहीं होतीं। आप देख लेना अगले फेरबदल में
मैं गृहमंत्री बन जाऊंगी या क्या पता मोदीजी मुझे वित्त मंत्रालय ही सौंप दें। ऐसा होते ही लोगों की
धारणा फिर से बदल जाएगी। मोदी जी ने तो मुझसे यहाँ तक कहा कि स्मृति तुम पीएम मैटेरियल हो।
पचहत्तर की उम्र तक मैं प्रधानमंत्री रहूँगा उसके बाद तुमको ही देश चलाना है। उन्होंने गुजरात में
आनंदीबेन का उदाहरण भी दिया। आप तो जानते ही हैं कि पार्टी में अब मेरे सिवा कोई दमदार महिला
नेता नहीं है। सुष्मा जी बूढ़ी हो चली हैं, उनमें उत्साह है, ऊर्जा। मैं ही बची हूँ बस।

मोदीजी ने सचमुच में आपको गृहमंत्री बनाने का वादा किया है?

ये मेरे और उनके बीच की बात है इसलिए मैं आपको कुछ नहीं बता सकती। बस यही कहूँगी कि इंतज़ार
कीजिए।

लेकिन तो आपको इन मंत्रालय का तजुर्बा है और ही जानकारी। आप कैसे संभालेंगी ऐसे भारी-भरकम मंत्रालय?

वैसे ही जैसे अभी जेटली और राजनाथ जी सँभाल रहे हैं।

क्या मतलब?

देखिए सारे फ़ैसले तो पीएमओ को लेना है। सब कुछ वही तय करता है। इसलिए मैं वित्तमंत्री बनूँ या
गृहमंत्री, काम तो मुझे करना ही नहीं है। पीएमओ जो कहेगा करती रहूँगी। जहाँ चिड़िया बैठाने को कहा
जाएगा, बैठा दूँगी। वैसे आपको ऑफ रिकॉर्ड बता रही हूँ कि मैंने येल यूनिवर्सिटी में बात की है। वो
मुझे फायनेंस एंड अकाउंटिंग में डिग्री देने को तैयार हो गई है।

लेकिन आप पढेंगी कैसे? क्लास कैसे अटेंड करेंगी?

देखिए इस मंत्रालय में काम-वाम तो कुछ होगा नहीं इसलिए पढ़ने के लिए तो भरपूर टाइम निकल
आएगा। रही बात क्लास अटैंड करने की तो वह मुझे करनी नहीं है क्योंकि मैं कारेस्पांडेंस कोर्स करूँगी।

देख लीजिए, कहीं फिर से कोई कंट्रोवर्सी हो जाए। आपकी डिग्री को लेकर विवाद अभी तक ख़त्म नहीं हुआ है।

उसे तो ख़त्म ही समझो। मोदीजी की खुद की डिग्री पचड़े में है और वे उसे छिपाने के लिए सब कुछ कर
रहे हैं तो क्या मेरे लिए कुछ नहीं करेंगे। अब वैसे भी लोगों का ध्यान मेरे ऊपर कम ही रहेगा।

बीच में हवा उड़ी थी कि आपको यूपी के चुनाव में सीएम के रूप में प्रोजेक्ट किया जा सकता है?

देखिए यूपी में पार्टी के पास कोई दमदार नेता है नहीं इसलिए वे मुझसे कह रहे हैं कि आप लीड करो।
मगर स्टेट की पॉलिटिक्स में मेरी दिलचस्पी है नहीं। मैं तो केंद्र में रहना चाहती हूँ और मोदी जी के
पदचिन्हों पर आगे बढ़ना चाहती हूँ।

ये बताइए कि क्या टीवी की दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया है आपने? अभिनय करने का मन तो करता होगा?

अरे अब तो दिन रात अभिनय ही चलता रहता है। हर रोज़ नए-नए एपिसोड बनते और टेलीकास्ट होते
रहते हैं। कभी संसद में कभी मंत्रालय में कभी पार्टी में, कभी टीवी डिबेट में, कभी चुनाव में जनता के
बीच। मुझे तो कभी लगता ही नहीं कि मैं टीवी सीरियल से बाहर गई हूँ। वही तू तू मैं मैं चलती
रहती है। काँग्रेस के साथ हम सास भी कभी बहू थी खेलते रहते हैं। इसलिए मैं एक्टिंग को तो अब
बिल्कुल भी मिस नहीं करती।


मृति जब ये सब कह रही थीं तो मैं उनके हाव-भाव देख रहा था। मैंने पाया कि उनमें उनके बहुत से
किरदार एक साथ जागृत हो गए हैं और बारी-बारी से बोलते जा रहे हैं। मैं कुछ देर उन्हें सुनता रहा।
फिर धीरे से उठा और उनको बोलते हुए छोड़कर चला आया।

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