कन्नड़ अभिनेत्री और काँग्रेस नेता रम्या ने कहा है कि वे माफ़ी नहीं मांगेंगी। उन्हें माफी माँगना भी नहीं चाहिए। उन्होंने कुछ भी ऐसा नहीं कहा है जिस पर वे शर्मिंदा हों या ग़ैर वाज़िब दबावों के सामने घुटने टेकें। बल्कि उन्हें अपने अधिकारों की रक्षा के लिए डटे रहना चाहिए।
आख़िर रम्या ने ऐसा क्या कह दिया जिसकी वजह से उनके ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुकद्दमा ठोक दिया गया? यही न कि वे पाकिस्तान को नरक नहीं मानतीं और वहाँ भी हिंदुस्तान की तरह अच्छे लोग रहते हैं। इसमें ग़लत क्या है? ऐसा तो हर वह इंसान कहेगा जिसके पास थोड़ा-बहुत विवेक है।
रम्या कुछ ही समय पहले पाकिस्तान में सार्क देशों के सम्मेलन में हिस्सा लेकर लौटी हैं। उनके साथ बीजेपी समेत दूसरे कई दलों के नेता भी गए थे और सभी का अनुभव बहुत अच्छा रहा। सभी के साथ वहाँ अच्छा व्यवहार किया गया इसलिए कोई नहीं कह रहा कि पाकिस्तान नरक है।
वैसे ये अनुभव हर उस हिंदुस्तानी का होता है जो पाकिस्तान जाता है। बेशक़ वहाँ आतंकवाद है, कठमुल्ले हैं और हिंसा भी बेइंतहा हो रही है। मगर वे मुट्ठी भर लोग हैं। पाकिस्तान की अधिकांश जनता उनसे उसी तरह नफ़रत करती होगी जैसे हम।
वैसे इस तरह के लोग तो हिंदुस्तान में भी हैं। कहीं गौ रक्षा के नाम पर कहीं लव जिहाद के नाम पर, कहीं भारत माता की जय के नाम पर लोग भारत को नरक बनाने में जुटे हुए हैं। ज़ाहिर है कि दुनिया में ऐसे बहुत से मुल्क होंगे जो मानते होंगे कि भारत नरक बन गया है या बन रहा है।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर जैसे चंद अपरिपक्व, ग़ैर ज़िम्मेदार मंत्री भले ही पाकिस्तान को नरक बता दें, मगर उनके कहने से कुछ होता नहीं है। कोई उन्हें गंभीरता से नहीं लेता सिवाय उनके जैसे लोगों के।
रम्या के साहस को दाद देनी चाहिए कि उन्होंने ऐसा कहा और उस पर टिकी हुई हैं। लेकिन कर्नाटक की काँग्रेस सरकार हद दर्ज़े की डरपोक है और सांप्रदायिक ताक़तों के दबाव में काम करने वाली है। इसीलिए कुछ समय पहले एमनेस्टी इंटरनेशनल के खिलाफ़ जब देशद्रोह का मुकद्दमा दर्ज़ किया जा रहा था तो उसने कुछ नहीं किया। सिर्फ़ गृहमंत्री ने एक बयान जारी करके कहा कि एमनेस्टी को देशद्रोही मानना ग़लत है.
खुद को लोकतंत्र, सहिष्णुता और सद्भाव की पैरोकार बताने वाली कांग्रेस पार्टी को अपनी सरकार को फटकार लगानी चाहिए कि वह ऐसे तत्वों से सख़्ती से निपटने से क्यों कतरा रही है जो तरह-तरह से लोगों को परेशान कर रहे हैं।
अब इस निज़ाम में सच बोलना भी देशद्रोह है रम्या...
Speaking truth in present rule is treason Ramya
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