नवाज़ शरीफ़ के कांस्टीट्यूशन एवेन्यू स्थित आवास में घुसते ही मुझे इस बार अलग ही तज़ुर्बा हुआ और वह ये कि हर जगह अस्सलामेकुम के बजाय पाकिस्तान ज़िंदाबाद कहकर अभिवादन किया जा रहा है। मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि ये बदलाव क्यों हुआ और इसके मायने क्या हैं। इसके बाद मुझे फिर ये देखकर हैरत हुई कि वज़ीर-ए-आज़म नवाज़ शरीफ़ के चेहरे पर शिकन का नाम-ओ-निशान तक नहीं है, उल्टे वे इस तरह खुश हैं मानो उनकी लॉटरी निकल गई हो। उन्होंने पहले पाकिस्तान ज़िंदाबाद कहा और फिर पूरे जोश के साथ खुशामदीद।
मैं तो ज़ाहिर है कि स्वागत-सत्कार से बाग़-बाग़ हो रहा था, लेकिन मन में खटका भी हो रहा था कि माज़रा क्या है। और ये आलम उनके पूरे घर में था। वहाँ तैनात मुलाज़िम और फौजी भी बड़े खुश नज़र आ रहे थे। ज़ाहिर है कि मैंने तमाम सवाल छोड़कर सबसे पहले यही पूछना ठीक समझा कि आख़िर राज़ क्या है?
शरीफ़ साहब, इस समय तो आपको मायूस होना चाहिए, परेशान होना चाहिए, मगर आप ज़रूरत से ज़्यादा खुश नज़र आ रहे हैं, क्या बात है?
तुसी गेस करो जी क्या बात हो सकती है?
जी, अमरीका ने रूकी हुई इमदाद जारी कर दी होगी?
नहीं, और सोचो.....
फिर तो ज़रूर उसने हथियारों की नई खेप को मंज़ूरी दे दी होगी?
न जी न.....ज़रा और दिमाग़ लगाओ..
आपके फेमिली बिज़नेस में कुछ बड़ा फ़ायदा हुआ होगा, कोई बड़ा सरकारी कांट्रेक्ट मिल गया होगा?
न जी, बिल्कुल न।
फिर तो जी मैंने हार मान ली, अब आप ही बता दो?
रहस्यमयी मुस्कराहट के साथ उन्होंने कहा-ओजी कश्मीर मसला इंटरनेशनलाइज़ हो गया है......।
मैंने थोड़ा हतप्रभ होते हुए पूछा-तो इसमें इतना खुश होने की क्या बात है? बल्कि इससे ज़्यादा तो आपको चिंता इस बात की होनी चाहिए कि बलूचिस्तान के मसले ने आलमी शक्ल अख़्तियार कर ली है?
बलूचिस्तान का मुद्दा भी चिंता का सबब नहीं है, वो तो और भी खुशी दी गल है जी। हमको दोनों से ही फ़ायदा हो रहा है।
कमाल है। पूरी दुनिया में पाकिस्तान की भद्द पिट रही है। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के हर सूबे से अलगाव की आवाज़ उठ रही हैं। सिंध तक में नारे बुलंद होने लगे हैं। और आप कह रहे हैं खुशी की बात है?
यही तो मुश्किल है आप हिंदुस्तानियों के साथ। आप लोग हर चीज़ को अपने एंगल से देखने की कोशिश करते हो। अमाँ यार ये तो देखो कि हम इतने सालों से बोल रहे थे कि हिंदुस्तान हमारे सूबों में गड़बड़ी फैला रहा है, मगर कोई सुनता ही नहीं था। अब तो दुनिया देख रही है कि किस तरह खुल्लमखुल्ला वो हमारे अंदरूनी मामलात में दखल दे रहा है।
देखिए नवाज़ साहब आप अपनी बनाई दुनिया से बाहर निकलिए और देखिए कि पाकिस्तान किस तरह टूट-फूट रहा है?
ये भी आपको लग रहा है जी। हिंदुस्तानी मीडिया सरकार के इशारे पर अपने अवाम को खुशफ़हमी में रख रहा है कि देखो जी मोदीजी ने कमाल कर दिया। उनके एक बयान से पाकिस्तान हिल गया, टूटने लगा, हर जगह बगावत के शोले भड़कने लगे, मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं है। कोई अलग नहीं हो रहा।
पूरी दुनिया आपके ख़िलाफ़ हो चुकी है और आप हो कि अभी भी खुशफ़हमी में जी रहे हो?
किसने कहा दुनिया ख़िलाफ़ हो गई है? आपके मीडिया ने न। मान लीजिए उसकी बात और खाते रहिए खयाली पुलाव। असल बात तो ये है जी कि चीन भी हमारे साथ है और अमरीका भी। तमाम इस्लामी मुल्क तो हमारे साथ हैं ही। अब बताओ कौन खिलाफ़ है जी? एक अकेला हिंदुस्तान, बस न...तो वो कब हमारे साथ था?
अगर ऐसा है तो आप बौखलाहट भरे क़दम क्यों उठा रहे हैं? बलूचिस्तान के नेता कह रहे हैं कि आप क़त्ल-ए-आम करवाने जा रहे हैं, तमाम लीडरान को जेल में बंद करने या उनको ख़त्म करने की साज़िशें बुन रहे हैं?
आप उनकी बात कर रहे हो न जो मोदी-मोदी का जाप कर रहे हैं? वे सब आपके पेड बाग़ी हैं जी। मैंने उन्हें ठीक कर देना है। मगर गल ये नईं है। असल गल तो ये है कि हमको आपने बहाना दे दिया है। अब हम ये कहकर किसी को भी ठिकाने लगा सकते हैं कि वह हिंदुस्तानी पिट्ठू था, गद्दार था।
तो आप उन्हें गद्दार करार देंगे?
यही तो असली गेम है जी। जैसे आपके मुल्क में वफ़ादारी और मुल्क से मोहब्बत के नाम पर जिस तिस को मार-पीटकर सियासत मज़बूत की जा रही है, वैसी ही अब मैं भी कर सकूँगा। इसीलिए तो मैं इतना खुश हूँ। बलूचिस्तान का मसला उठने से मेरी बल्ले-बल्ले हो गई है, लॉटरी खुल गई है।
देखिए मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है कि आप क्या कह रहे हैं?
बात तो बड़ी सीधी सी है जी, अगर आप समझना चाहो तो।
अब ख़ुदा के लिए पहेलियाँ मत बुझाइए और बताइए कि आपकी बल्ले-बल्ले कैसे हो गई है?
देखो भाई, सिंपल सी बात है। आपके प्राइम मिनिस्टर ने जब से बलूचिस्तान का राग अलापना शुरू किया है, पूरे मुल्क में पाकिस्तान से मोहब्बत का जज़्बा जाग गया है। अब सब एकजुट होने लगे हैं। सबको लग रहा है कि हिंदुस्तान हम पर दादागीरी दिखा रहा है और उसका मुक़ाबला करने के लिए हमें एक होना पड़ेगा।
लेकिन इससे आपकी बल्ले-बल्ले कैसे हो गई?
अमाँ यार थोड़ा सबर तो रखो, बता रहा हूँ न। हाँ तो मैं कह रहा था कि ये जो मुल्क से मोहब्बत का जज़्बा है न वो हमारे जैसे सियासदाँ के लिए संजीवनी की तरह होता है। अब झख मारकर बाक़ी सियासी पार्टियों को भी सरकार के साथ खड़ा होना पड़ेगा। इससे किसका फ़ायदा होगा? मेरा, क्योंकि वज़ीर-ए-आज़म होने के नाते मैं सबकी सरपरस्ती करूँगा। मैं सबसे बड़ा क़ौमी लीडर बन जाऊँगा। मैं पूरे मुल्क में घूम-घूमकर शोर मचाऊँगा कि हिंदूस्तान हमारी तरफ आँखें टेढ़ी करके देख रहा है, वह हमसे जंग की तैयारी कर रहा है, हम पर हमला करने का बहाना ढूँढ रहा है, इसलिए ख़बरदार हो जाइए। हमें इस बार मुँह तोड़ जवाब देना है। उससे कश्मीर वापस लेना है।
इसका मतलब है कि आप भी राष्ट्रवादी होने का ढोंग करके अपनी सियासी गोटियाँ लाल करने की फ़िराक़ में हैं?
मैं क्या हर पोलिटिसियन यही करता है। क्या मोदीजी यही नहीं कर रहे हैं और मैं तो देख रहा हूँ कि वे कामयाब भी हो रहे हैं। पूरा अपोजीशन कश्मीर के मसले पर उनके पीछे खड़ा हो गया है।
यानी मोदीजी एक तरह से अपना सियासी खेल तो खेल ही रहे हैं, आपकी मदद भी कर रहे हैं?
अपना जिगरी यार है मोदी, क्या इतना भी नही करेगा दोस्ती के लिए? मैं तो सचमुच में उसका दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। बस एक छोटी सी जंग और छेड़ दे, बिल्कुल छोटी सी। मैं अगला इलेक्शन तो शर्तिया जीत जाऊँगा।
आप बेकार में खुश हो रहे हैं। आर्मी आपको बख्शेगी नहीं। आपको कुर्सी से हटाकर खुद बैठ जाएगी?
आप हिंदुस्तानियों को पाकिस्तान आर्मी का इतना ख़ौफ़ क्यों सताता है? अरे ज़रा ठीक से सोचोगे तो समझ में आएगा कि सबसे ज़्यादा तो वही खुश है। उसकी तो इंपोर्टेंस ही तभी होती है जब हिंदुस्तान की तरफ से कोई चुनौती खड़ी होती है, वर्ना सब उसको खलनायक ही मानते हैं। वह कुछ नहीं करेगी। बल्कि मेरे कंधे पर रखकर तोप चलाएगी, जिसके लिए मैं पूरी तरह से तैयार भी हूँ।
लेकिन अमेरिका तो शर्तिया आपकी मदद नहीं करेगा?
उसकी मदद मुझे चाहिए ही नहीं। और फिर अगर वह पाकिस्तान के खिलाफ़ जाएगा तो भुगतेगा। वह अच्छी तरह जानता है कि अगर उसने गड़बड़ की तो हम चीन की मदद ले सकते हैं और ये उसे गँवारा होगा नहीं। फिर ये मत भूलिए कि पाकिस्तान नाटो का मेंबर है और उसकी मदद करना नाटो मुल्कों का फर्ज़ बनता है। अगर उन्होंने हमारी हिफ़ाज़त नहीं की तो बहुतों का भरोसा उठ जाएगा उससे।
लेकिन सियासी फ़ायदे के लिए क्या ऐसा करना ठीक है कि आप अमन का रास्ता अपनाने के बजाय दो मुल्कों को जंग में झोंक दें?
देखिए मुझे हिंदुस्तान के प्रति आपकी वफादारी में कोई शक़ नहीं है मगर आपको बता दूँ कि जंग के हालात मेरी हुकूमत ने नहीं आपके मुल्क की हुकूमत बना रही है।
आप भी ग़ज़ब करते हैं। दहशतगर्दों को आप पाल-पोस रहे हैं, उनको मदद आप दे रहे हैं और अब तोहमत भी हिंदुस्तान पर लगा रहे हैं?
मैं तोहमत नहीं लगा रहा, सचाई बयान कर रहा हूँ। पाकिस्तान एक मुश्किल दौर से गुज़र रहा है। उसे पता है कि दुनिया भर में उसे टेररिस्ट स्टेट के रूप में देखा जाने लगा है, मगर वह कोशिश कर रहा है कि इस दाग़ को धोए, लेकिन इसमें वक़्त लगेगा।
अभी तक आपने कुछ ऐसा किया नहीं है जिससे हिंदुस्तान को यकीन हो?
मैं ऐसा कुछ कर भी नहीं सकता, क्योंकि पाकिस्तान के सियासी और समाजी हालात ऐसे हैं कि अगर थोड़ी सी भी चूक की तो लोग गोली मार देंगे। मोदीजी को मैंने ये बात समझाई थी और उनकी समझ में आ भी गई थी।
मैं शुक्रिया कहकर चलने की तैयारी करने लगा तो नवाज़ शरीफ़ ने कहा- आपकी तो पीएम से गुफ़्तगू होती रहती होगी। हो तो उन्हें समझाइएगा कि ये नूरा कुश्ती यूँ ही चलने दें। कम से कम तब तक जब तक कि उधर यूपी के और इधर नेशनल एसेंबली के इलेक्शन न हो जाएं। चाहें तो वहां के आम इंतखाबात तक भी चला सकते हैं।
मेरा मन हुआ कि अपना माथा पीट लूँ, मगर मैंने उनसे कहा ज़रूर कहूँगा और चला आया।
वैधानिक चेतावनी - ये व्यंग्यात्मक शैली में लिखा गया काल्पनिक इंटरव्यू है। कृपया इसे इसी नज़रिए से पढ़ें।
Written by-डॉ. मुकेश कुमार