रणनीतिक नजरिये से देश के सबसे संवेदनशील इलाके अरुणाचल प्रदेश में यह क्या हो रहा है। तबके मुख्यमंत्री दोर्जी खांडू को हेलिकाप्टर दुर्घटना में गुजरे तकरीबन एक वर्ष बीत रहा है। इस बीच राज्य में चार बार सरकार बदल गयी। सरकारें बदलीं अरुणाचल प्रदेश में पैगामों का सिलसिला वाया दिल्ली ही रहा।
पिछले महीने की ही बात है जब पूरी की पूरी सरकार ही वहां एक पार्टी का दामन छोड़ अलग पार्टी की अलमबरदार बन चुकी थी। तब हमने इशारा किया था। कहा था कि कहना मुश्किल है कि इस दल बदल में केंद्र सरकार की भूमिका है या नहीं।
लेकिन इस शुक्रवार को जो हुआ, उसने लोकतंत्र के मौजूदा ढांचे के बारे में गंभीरता से सोचने को मजबूर कर दिया है। लोकतंत्र में असली ताकत जनता के ही हाथ होती है, इस पर पुनर्चिंतन को मजबूर कर दिया है।
जनादेश तो चुनाव के समय ही दिया जा सकता है। एक बार चुन लिए जाने और सत्ता तक पहुंच जाने के बाद क्या इस तरह से सरकारें बनती-बिगड़ती रह सकती हैं और लोक तथा तंत्र को इसमें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।
पिछले दस महीनों के अरुणाचल प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम से सारा देश वाकिफ है। देश के सर्वोच्च न्यायालय तक को आदेश जारी करना पड़ा था। उसे भी किस तरह पिछले महीने धता बताया गया, सामने है।
अरुणाचल प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल जेपी राजखोवा को किन हालात में हटाया गया, इस पर फिर से मनन-चिंतन का विषय मिल गया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस के नाबाम तुकी फिर मुख्यमंत्री पद पर आसीन तो हो गए थे।लेकिन हाई कमान ने बीती 16 जुलाई को पेमा खांडू को उनकी जगह बैठा दिया। वही पेमा खांडू कुछ दिन बीतते ही अपने तमाम मंत्री-विधायकों सहित पीपीए में शामिल हो गए।
राजनीतिक विश्लेषकों ने तभी शंका जतायी थी। राज्यपाल बदले जाने से लेकर कांग्रेस के सभी विधायकों के पाला बदलने की टायमिंग काफी-कुछ बयां कर रही थी। शुक्रवार 14 अक्टूबर को जैसे ही भाजपा अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू की पीपीए सरकार की औपचारिक हिस्सेदार बनी, सारा खेल सामने आ गया।
पीपीए सरकार वैसे भी भाजपा प्रेरित नार्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा) की अंशदार है। उसके संयोजक असम में भाजपा के कद्दावर नेता और वित्त सहित कई विभागों के मंत्री हिमंत विश्व शर्मा हैं।
राजनीतिक जोड़-तोड़ के माहिर माने जाने वाले इस नेता ने बीते दिनों में अरुणाचल प्रदेश की राजनीतिक परिपाटी को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभायी है।
इस प्रकार अरुणाचल प्रदेश देश का 14 वां राज्य बन गया है, जहां गठबंधन सरकार है। देखने वाली बात यह होगी कि क्या आने वाले दिनों में यह गठबंधन सरकार पूरी तरह भाजपा में समा सकती है। वर्तमान स्थिति में 60 सदस्यीय विधानसभा में पीपीए के 44, भाजपा के 11 और कांग्रेस के 3 विधायकों के अलावा दो निर्दलीय सदस्य हैं।
अरुणाचल प्रदेश में खुल गया भाजपा का पावर गेम
BJP's power game revealed, In Arunachal Pradesh
Written by-सत्यनारायण मिश्र
अन्य पोस्ट :
सरकार पाकिस्तान से ही नहीं, अमेरिका से भी पूछे सवाल
Not only Pakistan but questions should be asked to US also
ये किसकी खाटिया खड़ी करने में लगे हैं राहुल गाँधी?
What will Rahul Gandhi achieve through his cot meetings?
क्या अरुणाचल में हुए एकमुश्त फेरबदल के पीछे केंद्र सरकार का हाथ है?
Is central govt. behind the whole sale defection in Arunachal Pradesh?
अरुणाचल के राज्यपाल को हटाने के लिए क्या अब राष्ट्रपति निर्देश देंगे?
Who want to sack Arunachal governor and if he adamant then who will take a call
पूर्वोत्तर भारत में आतंकवाद का फैलता दोहरा जाल
Network of dual terrorism is spreading in north east India
क्या चीन ब्रह्मोस के बहाने अरुणाचल पर निशाना साध रहा है?
Network of dual terrorism is spreading in north east India
क्या चीन ब्रह्मोस के बहाने अरुणाचल पर निशाना साध रहा है?
Is China aiming Arunachal using deploying of Brahmos missiles as an excuse?
अनशन खत्म मगर जारी है शर्मिला का संघर्ष
अनशन खत्म मगर जारी है शर्मिला का संघर्ष
Keyword : Arunachal Pradesh, BJP's, प्रादेशिक, सत्यनारायण मिश्र, भाजपा, अरुणाचल प्रदेश, मंत्री हिमंत विश्व शर्मा, नार्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा), जेपी राजखोवा, दोर्जी खांडू