ओम पुरी को गुस्सा बहुत आता है। आजकल तो उन्हें बात-बात पर गुस्सा आ जाता है। अब ये मत पूछिएगा कि ओम पुरी को गुस्सा क्यों आता है। गुस्से की कई वजहें हो सकती हैं। गुस्से की वजह घरेलू झगड़ा भी हो सकता है और किसी राष्ट्रीय मसले पर भी वे हत्थे से उखड़ सकते हैं।
वैसे ये भी कोई ज़रूरी नहीं है कि गुस्से की कोई वजह भी हो। बल्कि बेजवह गुस्सा आना उनके स्वभाव का हिस्सा बन गया है। ख़ास तौर पर जब वे होश में न हों। अब होश का क्या है कि उसका कोई समय तो होता नहीं है। जिस समय जितनी गले के नीचे जाती है, वे उसी पैमाने पर उनका होश कम होता जाता है और फिर तो वे किसी भी बात पर बरसना शुरू कर देते हैं।
मैं तो बहुत सोच-समझकर सही वक़्त पर पहुँचा था। सुबह ग्यारह बजे, जब पीने का कोई वक़्त नहीं होता और रात का हैंग ओवर भी अमूमन ख़त्म हो चुका होता है। मगर वे तब भी गुस्से में थे, जिसका मतलब है कि वे होश में नहीं थे। इसीलिए पुरानी पहचान होने के बावजूद ऐसे बर्ताव कर रहे हों मानो कभी मिले न हों। न हलो हाय न चाय-पानी। भाभी जी घर पर नहीं दिखीं तो मैंने सोचा लगता है फिर गड़बड़ हुई है। बहरहाल, उनके कुछ कहने के पहले ही मैंने सवाल पूछना शुरू कर दिया।
ओम जी, देश भर में आपकी निंदा हो रही है। आप कुछ भी क्यों बोल देते हैं?
ओम पुरी ने कुछ देर गुस्से भरी नज़रों से मेरी ओर देखते रहे, फिर उखड़े हुए अंदाज़ में बोलने लगे-देश भर में निंदा हो रही है कि तुम्हारे अधकचरे मीडिया में, जिसे भारत-पाक रिश्तों की रत्ती भर समझ नहीं है। जिस मीडिया को मालूम न हो कि लड़ाई का अंजाम क्या होता है, वह मेरी बातों को और मेरी भावनाओं को क्या समझेगा। मुझे तुमसे और तुम्हारी सो कॉल्ड मीडिया बिरादरी से कोई उम्मीद नहीं है। वह हर समय उन्माद भड़काने में लगी रहती है। उसे न देश की फिकर है न इंसानियत की।
ग़ज़ब करते हैं आप भी। ऊटपटांग बयान देते हैं आप और फिर कोसने लगते हैं मीडिया को?
अच्छा, मैंने क्या कहा था सबसे पहले जिसे लेकर तुम लोगों ने बखेड़ा खड़ा कर दिया था? यही न कि सलमान ख़ान ने पाकिस्तानी कलाकारों के बारे मे जो कहा वह सही है? क्या ग़लत कहा था मैंने? क्या ये सही नहीं है कि वे आतंकवादी नहीं हैं? क्या ये सही नहीं है कि भारत सरकार उन्हें वीज़ा-पासपोर्ट देती है और वे तभी आते हैं? अगर ये सब सही है तो फिर आप लोग इतना हंगामा क्यों मचा रहे हो भाई? इसलिए कि शिवसैनिकों ने अल्टीमेटम देकर तुम लोगों को सनसनी बेचने के लिए मसाला दे दिया है? इसलिए कि वो तो तुम्हारा आका दिल्ली में बैठा है तुम लोगों को उसे खुश करना है?
लेकिन ओम.....
मेरी बात अभी पूरी नहीं हुई है और घटिया एंकरों की तरह बीच में लेकिन-लेकिन मत करो। ध्यान से पूरी बात सुनो पहले। हाँ तो मैं क्या कह रहा था.....हाँ......सलमान ने कोई ग़लत बात तो कही नहीं थी, मगर पूरा मीडिया उस पर चढ़ बैठा। इसलिए कि वो मुसलमान है तो उसे तुरंत पाकिस्तानी बना दोगे। शिवसैनिकों ने तो कह भी दिया कि पाकिस्तान चले जाओ। मीडिया तो उसका भोंपू बना हुआ है। हाँ, अब बोलो, क्या बोलना चाहते थे।
देखिए, बात ये है कि जो देश हमारे खिलाफ़ छाया युद्ध चला रहा है हम उसके नागरिकों का समर्थन क्यों करें, उनके कलाकारों को यहाँ बुलाकर इज्ज़त और दौलत क्यों दें?
अव्वल तो मेरे दोस्त तुम लोग सरकार और नागरिक में फ़र्क करना सीखो। सरकारें, फौजें और सियासतदाँ अपने गेम खेलती हैं। ये हर मुल्क में होता है। हमारे मुल्क में भी हो रहा है। सर्जिकल स्ट्राइक को ही ले लो। पहले जाने कितनी बार सर्जिकल स्ट्राइक हुईं लेकिन इतना ढिंढोरा नहीं पीटा गया। अब चूँकि मोदी सरकार फेल हो गई है और यूपी में चुनाव लड़ना है तो वो जंग का माहौल बनाने में जुट गए हैं। ये छोटी सी बात तुम लोगों के पल्ले ही नहीं पड़ रही। बस देशभक्ति के नशे में पागल हुए जा रहे हो। टीआरपी मिल रही है इसलिए। सर्कुलेशन बढ़ाना है।
लेकिन ओम जी......
फिर लेकिन....अरे बात तो पूरी सुना करो यार। आजकल सब अर्नब की नक़ल करने में लगे हुए हैं। खुद बोलेंगे, दूसरे को बोलने नहीं देंगे। हाँ तो मैं क्या कह रहा था.....हाँ.......मीडिया पगला गया है। वह पूरे देश की भावनाएं भड़काने में लगा हुआ है। अबकी बार अगर युद्ध हुआ तो उसकी वजह मीडिया होगा। उसने अपनी अकल अंबानी-अडानी के पास गिरवी रख दी है और दिल्ली दरबार में दंडवत हुआ जा रहा है। हाँ, अब बोलो क्या बोलना चाहते थे।
मैं ये पूछ रहा था कि पाकिस्तानी कलाकारों का समर्थन क्यों कर रहे हैं आप?
इसलिए कि हर सच्चे इंसान और सच्चे भारतीय को ऐसा करना चाहिए। जो भी इंसान नहीं चाहता कि दक्षिण एशिया युद्ध का मैदान बन जाए और जैसे इस्रायल तथा फिलिस्तीन बरसों से आपस में लड़े जा रहे हैं वैसे हम लड़ें वह कभी इस तरह की माँगों का समर्थन नहीं करेगा, बल्कि विरोध ही करेगा। हमारी दुश्मनी आतंकवादियों से है और उन्हें पनाह देने वालों से है, न कि आम नागरिकों और कलाकारों से। इसके विपरीत हमें उनकी ज़रूरत है ताकि शांति के कुछ पुल बने रहें। दोनों देशों के अवाम के बीच जो सदियों पुराने रिश्ते हैं उन्हें बचाने के लिए ज़रूरी है कि सांस्कृतिक संबंधों को टूटने से बचाया जाए और मैं भी यही कर रहा हूँ। हमेशा करता रहूँगा चाहे मुझे कोई फॉंसी पर ही न चढ़ा दे।
लेकिन......
फिर लेकिन.....अरे अभी मेरी बात पूरी नहीं हुई है। हाँ तो मैं क्या कह रहा था.....हाँ.....हमें कलाकारों का साथ देना चाहिए और मीडिया को भी क्योंकि उसने अँधदेशभक्ति के चक्कर में अपनी आँखें फोड़ ली हैं और दिमाग़ बंद कर लिया है। हां, अब बोलो क्या बोलना चाहते हो।
चलिए आपकी ये बात मान भी ली जाए, मगर आपने जो ये कहा कि उड़ी में मरने वालों को किसने कहा था सेना में भर्ती होने को, क्या वही सही है? क्या ये शहीदों का अपमान नहीं है?
देखो भाई, तुम लोगों ने इस पर हंगामा खड़ा कर दिया तो मैंने माफ़ी माँग ली और अब इस किस्से को यहीं ख़त्म करो। लेकिन ऑफ द रिकॉर्ड बोल रहा हूँ, छापना मत, सचाई कड़वी होती है। देश में बेरोज़गारी बहुत है और लोग नौकरी के लिए ही सेना में जाते हैं। अगर उन्हें कोई दूसरी अच्छी नौकरी दे दोगे न तो जान जोखिम में डालने कतई नही जाएंगे। सेना से पूछो तो बताएगी कि अच्छा टैलेंट अब सेना में जा नहीं रहा वह एमबीए, इंजीनियरिंग करके करियर बनाना चाहता है, अमेरिका इंग्लैंड जाना चाहता है। जो किसी लायक नहीं हैं या जिन्हें कहीं नौकरी नहीं मिलती वे सेना में भर्ती होने चले जाते हैं। ये कड़वा सत्य है, मगर अभी बोल दो तो वे जितने मुच्छड़ फौजी हैं न उन्हें मिर्ची लग जाती है और तुम लोग राशन पानी लेकर चढ़ बैठते हो।
लेकिन ओम जी......
लेकिन, वेकिन छोड़ों अब। बहुत सवाल कर लिए। इतना मसाला काफी है तुम्हारे अख़बार के लिए। जाओ इसे उछालो, ओम पुरी को गालियाँ दिलवाओ और नोट कमाओ।
इतना कहने के बाद ओम पुरी ने मुझे पहले गुस्से से घूरा और फिर फूट-फूटकर रोने लगे। वे रोते जा रहे थे और कहते जा रहे थे---मेरे मुल्क को तबाह कर देंगे ये पागल लोग....मरने-मारने पर उतारू हो रहे हैं....मुल्क को जंग में झोंक देना चाहते हैं.....वे कलाकारों से कैसे सलूक करना चाहिए ये भी भूल गए हैं......या ख़ुदा अब क्या होगा.......। पहले मुझे लगा कि ओम पुरी नशे की वजह से पिघल गए होंगे,,,,मगर फिर समझ मे आया कि उनका दुख सच्चा है। उन्हें रोते देख मेरी भी आँखें भर आईं और अपनी बिरादरी पर गुस्सा आने लगा।
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